बादलो के उस पार एक किनारा है...
धुंध को हटाकर मुझे वहा जाना है...
चमकती फिज़ा, लहराती हवा...
बेहतरीन नजराना है...
सुकून की ज़िन्दगी का आगाज़...
कोनो से झाकती ख़ुशी का एहसास...
ढलता हुआ सूरज जैसे मेरा पैमाना है...
हर घूँट की रौशनी में डूबते जहां का भी एक फ़साना है...
दिन ढल के रात में तब्दील हो जाए...
इसके पहले मुझे उस पार जाना है...
कल की कुछ और बात होगी...
बस आज ही की रात है जो मेरे साथ होगी...
आने वाला सवेरा अपने साथ क्या लायेगा...
दूर दिखते रास्ते को छुपा जाएगा...
धुंध को हटाकर मुझे वहा जाना है...
बादलो के उस पार, जहा एक किनारा है...