Monday, January 16, 2017

Suno Na...

सुनो  ना... 

चाह के भी आवाज़ तुम तक नहीं पहुच पाती.  ... 
सुनो ना. ... 

ये अजब सी दुरी समझ नहीं आती  ... 
सुनो ना  ... 

साथ है या अलग है  ... ये पहेली समझ नहीं आती  ... 
एक दूजे के लीये हो के भी नहीं है. ... 
ये कमी खलती जाती  ... 

कही ऐसा वक़्त ना आ जाये कि जहान को भी लगे   ... 
कि इन दोनों में वो बात नहीं, जज़्बा नहीं, वो प्यार नहीं. ... 

बस चन्द दिनों का साथ था  ... 
रेत पे लिखे नाम की तरह  ... 

जब हवा का झोखा आया  ... 
सब मिटाता हुआ चला गया  ... आंधी की तरह. .   

अगर कुछ दिल को कचोट रहा है  ... तो बताओ ना  ... 
ऐसे चुप ना रहो  ... मुझे सताओ न  ... 

अगर वादा सिर्फ आज भर के साथ का था  ... 
तो निभा के चले जाने दो  ... 

मगर चाह ज़िन्दगी भर के साथ की है तो  ... 
मूझे रोक लो  ... जाने ना दो  ... 

जो भी है. ... मेरे सामने रखो  ... 
ऐसे मत हवा में लीन हो  ... सुनो ना. ... 
जो मन में चल रहा है  ... कहो ना  ... 

No comments:

Post a Comment